जग के बंधन तोड़ के आज, मन से मन को मिल जाने दो जग के बंधन तोड़ के आज, मन से मन को मिल जाने दो
उचित अनुचित में अंतर नहीं कर पाते आप उचित अनुचित में अंतर नहीं कर पाते आप
माथे की बिंदिया ही नही, पायल की झंकार तुम्हीं से है माथे की बिंदिया ही नही, पायल की झंकार तुम्हीं से है
अपनी बात खुलकर रखने में वो नि: संकोच ही सचमुच वीर है । अपनी बात खुलकर रखने में वो नि: संकोच ही सचमुच वीर है ।
भगत सिंह हमे मांफ करेंगे भगत सिंह हमे मांफ करेंगे
तू तोड़ क्यों न पा रहा है उनके प्रेमजाल को तू जाग जा देश को है अब जगाने की जरूरते धरा भी मन म... तू तोड़ क्यों न पा रहा है उनके प्रेमजाल को तू जाग जा देश को है अब जगाने की जर...